कल 8 मार्च को पूरे विश्व में महिला दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के लिए महिला विधेयक पेश किए जाने की तैयारी चल रही है। यदि यह विधेयक संसद में बहुमत के साथ पारित हो जाता है तो देश के राजनीतिक पटल पर महिलाओं को एक बड़ा मंच मिल जाएगा। ऐसी धारणा लोगों की है।
आज देश के सर्वोच्च पद(राष्ट्रपति) पर एक महिला काबिज है और कई प्रदेशों की कमान भी महिलाओं के हाथ में है। फिर महिलाओं को वह स्वतंत्रता नहीं मिली है जिसकी वह हकदार है। एक जमाना था जब इस देश में सीता और द्रोपदी जैसी महिलाओं ने वह सब झेला था जो आज की नारी को झेलना पड़ रहा है। काश उस समय भी महिला दिवस मनाया जाता तो शायद सीता और द्रोपदी के साथ अन्याय नहीं होता। और वे दोनों महिलाएं भी अपने हक के लिए संसद (दरबार )में अपनी आवाज उठा कर दोषियों को दंड दिलाने का प्रयास करतीं।
छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों और उनसे जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों का रोचक
वर्णन ‘हिन्दवी स्वराज्य दर्शन’
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*- प्रो. (डॉ) संजय द्विवेदी*
लेखक लोकेन्द्र सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। कवि, कहानीकार, स्तम्भलेखक
होने के साथ ही यात्रा लेखन में भी उनका दखल है। घुम...
1 हफ़्ते पहले