इतिहास: प्रिंस ऑफ वेल्स (जार्ज पंचम) भी वर्ष 1910 में ग्वालियर आए थे और वहां से उन्हें शिवपुरी में शेर का शिकार करने के लिए आना था। चूंकि शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में ही शिकारगाह बने हुए थे, इसलिए जॉर्ज पंचम के रुकने एवं विश्राम के लिए नेशनल पार्क में ही एक कोठी का निर्माण कराया गया। मात्र एक दिन रुकने के लिए बनाई गई यह कोठी तो आकर्षक स्वरूप में तैयार की गई, लेकिन जॉर्ज पंचम का शिवपुरी दौरा रद्ïद हो गया था और वे यहां नहीं आए थे। इंग्लिश शैली में बनाई गई इस कोठी का निर्माण सरदार बांकड़े ने करवाया था
ïिवशेषता: करीब 98 वर्ष पूर्व तैयार की गई जार्ज कैसल कोठी आज भी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। जो भी सैलानी शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में भ्रमण के लिए पहुंचता है तो वह इस कोठी के आकर्षण में बंधे बिना नहीं रह पाता।
पर्यटकों की पसंद: माधव नेशनल पार्क में हर साल करीब 15 से 20 हजार पर्यटक आते हैं। इनमें से अधिकांश जार्ज कैसल को देखने के लिए पहुंचते हैं।
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4 दिन पहले
5 टिप्पणियां:
Badi achhee jankaaree milee...swagat hai!
श्रीमान जी मन हर्षित हो गया, इतिहास के झरोखे से सुन्दर स्मृति........क्या जार्ज कैसल अभी भी रुकने लायक है।
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
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इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
vaah sir ji achhi abhivyakti. blogjagat me aapka swagat aurbadaai.
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